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बिना सुपर स्ट्रा मैनेजमेंट सिस्टम के नहीं चलेंगे कम्बाइन हार्वेस्टर

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इटावा, 06 अक्टूबर 2025। जिलाधिकारी शुभ्रान्त कुमार शुक्ल की अध्यक्षता में सोमवार को जिले के सभी कम्बाइन हार्वेस्टर मशीन मालिकों और लिपिकीय संवर्ग की डीपीसी से संबंधित बैठक आयोजित की गई। बैठक में जिलाधिकारी ने पराली प्रबंधन को लेकर सख्त निर्देश दिए। डीएम ने स्पष्ट कहा कि जनपद में कोई भी कम्बाइन हार्वेस्टर बिना सुपर स्ट्रा मैनेजमेंट सिस्टम (SMS) के संचालित नहीं किया जाएगा। यदि कोई मशीन बिना SMS के चलती पाई जाती है तो उसे पुलिस और सचल दस्तों द्वारा पूरे सीजन के लिए सीज कर दिया जाएगा। साथ ही डीएम ने यह भी कहा कि हार्वेस्टर से कटाई करते समय 6 इंच से अधिक ऊंचाई नहीं छोड़ी जानी चाहिए। नियम तोड़ने वालों पर सख्त कार्रवाई होगी। बैठक में उप कृषि निदेशक आर.एन. सिंह ने बताया कि एक टन धान की पराली जलाने से करीब 3 किग्रा कणिका तत्व, 60 किग्रा कार्बन मोनोऑक्साइड, 1460 किग्रा कार्बन डाईऑक्साइड, 199 किग्रा राख और 2 किग्रा सल्फर डाईऑक्साइड उत्सर्जित होती है। इन हानिकारक गैसों से वायु गुणवत्ता प्रभावित होती है और आंखों में जलन, त्वचा रोग, फेफड़े एवं हृदय संबंधी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। इसके अलावा पराली जलाने से मिट्टी के पोषक तत्व भी नष्ट हो जाते हैं। एक टन धान की पराली जलाने से लगभग 5.5 किग्रा पोटेशियम ऑक्साइड, 1.2 किग्रा सल्फर, तथा धान के द्वारा शोषित 50-70% सूक्ष्म पोषक तत्व और 400 किग्रा कार्बन की क्षति होती है। इससे मिट्टी की उर्वरता घट जाती है और भूमि अनुपजाऊ हो जाती है। किसानों को सुझाव दिया गया कि वे पराली जलाने की बजाय उसे नजदीकी गौशालाओं में पहुंचाएं। दो ट्राली पराली गौशाला ले जाने पर किसानों को एक ट्राली खाद गौशाला से उपलब्ध कराई जाएगी।


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